गरीब का बच्चा जब
भूख से बिलख कर
सो जाता है,
तो चाँद बन जाता है रोटी,
जिसे निगल लेता है वह
गालों पे सूख चुके
आंसुओं के साथ.
तभी तो निकलता है चाँद,
कि कोई बच्चा भूखा न रहे,
और हमें दिखता है,
आसमान में,
कुतरा हुआ चाँद.
शायद निगल लेते होंगे वे नींद में,
जब तक कि ख़त्म ह हो जाए,
या छिपा लेते होंगे,
छोटा-सा टुकड़ा,
अपनी फटी जेब में,
कल के लिए.
और, जब हो जाता होगा ख़त्म,
सारे बच्चे भूखे ही रह जाते होंगे,
दिन में भी,
और रात में भी.
फिर कोई बालक उछाल देता होगा
आसमान में,
अपने हिस्से का चाँद,
कि कोई बच्चा कम से कम
ख्वाब में भूख न रह जाए.
भूख से बिलख कर
सो जाता है,
तो चाँद बन जाता है रोटी,
जिसे निगल लेता है वह
गालों पे सूख चुके
आंसुओं के साथ.
तभी तो निकलता है चाँद,
कि कोई बच्चा भूखा न रहे,
और हमें दिखता है,
आसमान में,
कुतरा हुआ चाँद.
शायद निगल लेते होंगे वे नींद में,
जब तक कि ख़त्म ह हो जाए,
या छिपा लेते होंगे,
छोटा-सा टुकड़ा,
अपनी फटी जेब में,
कल के लिए.
और, जब हो जाता होगा ख़त्म,
सारे बच्चे भूखे ही रह जाते होंगे,
दिन में भी,
और रात में भी.
फिर कोई बालक उछाल देता होगा
आसमान में,
अपने हिस्से का चाँद,
कि कोई बच्चा कम से कम
ख्वाब में भूख न रह जाए.
1 comment:
बहुत शानदार, लेखन जारी रखिए
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